कर हौसले बुलंद तू
कवि गजानन गोपेवाड
प्रतिनिधी
श्री. नारायण भिलाणे,
दोंडाईचा
कर हौसले बुलंद तू ऊडने को आसमा भी कम पड जाए।
खुद पे ईतना एकीन रख।
खुद को ईतना मजबुत बना
कि कभी गिरे तो ऊठणे की ताकत रख ।
बुरा ना सोच किसी का। ना कर किसी का बुरा।
जहाँ जमिन है। वहिसे खुद की जमि बना।
: कर हौसले बुलंद,,,,,,,, ।।2।।
देख उस परिंदो को । ना घोसले कि चिंता ना डर ।
देख उस परिंदो को ना समाज ना वार्ता लाप ।
देख उस परिदों को लेकर आपणी उडाण ।
कर हौसले बुलंद तू,, ,, ,,,,,।।3।।
उठ सवेरा हुँआ । जाग कर देख ये कल फिर नहीं आते वाले है ।
उठ भर हौसले उडणे को। मंजिल तुझे पानी हैं ।
ना देख इधर ना उधर लक्ष तुझे अपनाना है ।
कर हौसले बुलंद तू ,,,,,,,,,।। 4।।
तकदीर पर यकीन मत रख ।
कर मेहनत बुरंद तू ।
कर्म कर । मेहनत कर । पग पग चलता चला ।
मंजील राहे बिच्छाकें है ।
ऊठ नया सवेरा आया ।
कर हौसले बुलंद तु,,,,,,,,,। 5।।
कवि
गजानन गोपेवाड
राज्य समन्वयक
अग्निपंख फाऊंडेशन महाराष्ट्र राज्य
कवि गजानन गोपेवाड
प्रतिनिधी
श्री. नारायण भिलाणे,
दोंडाईचा
कर हौसले बुलंद तू ऊडने को आसमा भी कम पड जाए।
खुद पे ईतना एकीन रख।
खुद को ईतना मजबुत बना
कि कभी गिरे तो ऊठणे की ताकत रख ।
बुरा ना सोच किसी का। ना कर किसी का बुरा।
जहाँ जमिन है। वहिसे खुद की जमि बना।
: कर हौसले बुलंद,,,,,,,, ।।2।।
देख उस परिंदो को । ना घोसले कि चिंता ना डर ।
देख उस परिंदो को ना समाज ना वार्ता लाप ।
देख उस परिदों को लेकर आपणी उडाण ।
कर हौसले बुलंद तू,, ,, ,,,,,।।3।।
उठ सवेरा हुँआ । जाग कर देख ये कल फिर नहीं आते वाले है ।
उठ भर हौसले उडणे को। मंजिल तुझे पानी हैं ।
ना देख इधर ना उधर लक्ष तुझे अपनाना है ।
कर हौसले बुलंद तू ,,,,,,,,,।। 4।।
तकदीर पर यकीन मत रख ।
कर मेहनत बुरंद तू ।
कर्म कर । मेहनत कर । पग पग चलता चला ।
मंजील राहे बिच्छाकें है ।
ऊठ नया सवेरा आया ।
कर हौसले बुलंद तु,,,,,,,,,। 5।।
कवि
गजानन गोपेवाड
राज्य समन्वयक
अग्निपंख फाऊंडेशन महाराष्ट्र राज्य
टिप्पणी पोस्ट करा
0टिप्पण्या